Sunday, July 8, 2012

जिंदगानी तू चलती जा



 चित्र गूगल बाबा से साभार  

चलती जा तू चलती जा, 
इन राहों पे उछलती जा
चल चला चल-चल जिंदगानी, 
दीप की तरह जलती जा
चाहे जैसे भी ले झूम, 
किसी राग में भी तू गा
हर तरह छूट है तुझको, 
कितने भी रंग बदलती जा
चल चला चल चल .....

रुकना मत किसी के रोके से, 
रहना सदा सावधान धोखे से
सफर आते हैं झोंके से 
इनसे बचके तू निकलती जा
चल चला चल चल .....

अन्धकार का चीर दे सीना, 
काली छाया में क्या जीना
लोभ है ठग अहंकार कमीना, 
तू मोह छलिया को छलती जा
चल चला चल चल .....

वक्त है थोड़ा काम है ज्यादा, 
करने से कटती बड़ी-बड़ी बाधा
बांधती चल मानव मर्यादा, 
बहके मत सम्भलती जा
चल चला चल चल .....
सूरमा वो ही जो चलता जाए,
खुद जागे दुनिया को जगाए
जला डाल पापों के साए, 
दुर्गुण-दोष निगलती जा
चल चला चल चल .....

रचनाकार – श्री सुरेन्द्र साधक

संपर्क - 9910328586